अफसोस

अफसोस

मुझे इसका गम नहीं की उसने फेर ली आंखे |
अफसोस ये है की उसने भी ,
मुजरिम समझा लिया |

आंखें

आंखें

आंखों से आंखें मिलते हैं,
दो से चार बनकर हम आप से,
मिलेंगे गले का हार बनकर |